मगांकेविवि में महर्षि पाणिनि ज्ञान - वाङ्मय शोधपीठ का कुलपति ने किया उद्घाटन

महर्षि पाणिनि ज्ञान वांग्मय शोध पीठ का उद्घाटन माननीय कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा महात्मा गाँधी केन्द्रीय विश्वविद्यालय के कर कमलों द्वारा किया गया | इस कार्यक्रम के अध्यक्ष माननीय कुलपति प्रोफेसर संजीव कुमार शर्मा जी थे तथा उपाध्यक्ष प्रति कुलपति प्रोफेसर जी.गोपाल रेड्डी थे| कार्यक्रम के संयोजक डॉ. भव नाथ पाण्डेय थे | इस कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत पुस्तकालय एवं सूचना विज्ञान विभाग की शोध छात्रा सुश्री ऋजु पाण्डेय एवं सुश्री साहित्यांजलि चन्द्र ने तिलक लगाकर किया| कार्यक्रम के अध्यक्ष का स्वागत महर्षि पाणिनि ज्ञान वांग्मय शोध पीठ के समन्वयक डॉ. भव नाथ पाण्डेय ने पुष्प गुच्छ देकर किया |

कार्यक्रम के उपाध्यक्ष का स्वागत प्रोफेसर रणजीत कुमार चौधरी ने पुष्प गुच्छ देकर किया| माननीय कुलपति महोदय ने महर्षि पाणिनि के योगदान तथा जीवन वृत्त के बारे में विस्तार से चर्चा की | महर्षि पाणिनि को व्याकरण का जनक कहा जाता है | महर्षि पाणिनि ने लगभग २८०० वर्ष पूर्व अष्टाध्यायी की रचना की थी | महर्षि पाणिनि ने ज्ञान को सूत्र रूप में व्यक्त किया था | डॉ. भव नाथ पाण्डेय ने महर्षि पाणिनि ज्ञान वांग्मय शोध पीठ के बारे में तथा उद्देश्यों की चर्चा की | इस शोध पीठ के माध्यम से ज्ञान आधारित वांग्मय का अध्ययन, वर्गीकरण, मूल्यांकन, एवं मापन किया जायेगा | ज्ञान को निर्धारित करने वाले तत्वों की पहचान, नए तत्वों का सृजन एवं मूल्यांकन किया जायेगा | महर्षि पाणिनि ने संस्कृत साहित्य के विभिन्न सूत्रों का निर्माण किया था | इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए इस शोध पीठ की संकल्पना की गयी है |

इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय के विशेष कार्य अधिकारी प्रोफेसर राजीव कुमार, कुलानुशासक प्रोफेसर प्रणवीर सिंह, विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागों के विभागाध्यक्ष उपस्थित थे | सह आचार्य डॉ. सपना, वेबसाइट प्रभारी डॉ. नरेन्द्र सिंह, जन संपर्क अधिकारी सुश्री शैफाली मिश्र, कुलपति के निजी सचिव सुश्री कविता जोशी, अटल बिहारी वाजपेयी केंद्रीय पुस्तकालय के सदस्य श्री रोबिन, श्री रोहित, श्री शेखर, श्री अनिश एवं शोधार्थी श्री उपेंद्र कुमार थे |


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