न्यास के देश भर में किए गए कार्यशाला और अन्य कार्यक्रमों से उभरी जनाकांक्षा का परिणाम है राष्ट्रीय शिक्षा नीति : प्रो. दास

पटना। रविवार को शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास की एक दिवसीय शैक्षिक कार्यशाला सम्पन्न हुई। कार्यशाला की शुरुआत दीप-प्रज्ज्वलन  एवं सरस्वती वन्दना से हुई। तत्पश्चात कार्यक्रम में शामिल सभी अतिथियों को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। काॅलेज ऑफ  काॅमर्स आर्ट एण्ड साइंस काॅलेज पटना के प्राचार्य प्रो तपन कुमार शांडिल्य ने अतिथियों के स्वागत के साथ ही कार्यशाला के उद्देश्य को बताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति  तो केन्द्र सरकार के द्वारा बना दी गई परन्तु इस नीति को लागू करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है। राज्य सरकारों को अपने संसाधनों का आकलन कर उसके अनुरूप कार्य करने पर बल दिया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में चुनौती कम अवसर ज्यादा है।

शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास (बिहार-झारखण्ड) के प्रान्त संयोजक एवं विश्वविद्यालय सेवा आयोग के सदस्य प्रो विजयकांत दास ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जो विषय वस्तु प्रतिपादित है वह शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के देश भर में किए गए कार्यशाला और अन्य कार्यक्रमों से उभरी जनाकांक्षा हैं। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय भाषा के महत्व को प्रतिपादित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति में    भाषा का विशेष ख्याल रखा गया है जैसे प्रारम्भिक शिक्षा का मातृभाषा में होना। प्रत्येक भाषा की अपनी क्षेत्र और संस्कृति होती है, यदि संस्कृति की रक्षा करनी है तो भारतीय भाषा की रक्षा आवश्यक है। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास(पर्यावरण शिक्षा) के राष्ट्रीय संयोजक श्री संजय स्वामी ने न्यास की कार्यशैली के बारे में बताया। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में पहली ढाई लाख सुझाव आए थे जिनमें अधिकांश सुझावों को शामिल किया गया है। शिक्षा का मूल कार्य चरित्र का निर्माण एवं व्यक्तित्व का विकास करना है और यह किस प्रकार से हो सकता है ऐसे सभी बिन्दुओं को शिक्षा नीति में शामिल किया गया है। आत्मनिर्भर भारत निर्माण पर उन्होंने कहा कि इसकी शुरुआत विश्वविद्यालयों से ही होती हैं। शिक्षा का मतलब केवल काले अक्षर का ज्ञान नहीं है बल्कि सा विद्या या विमुक्तये है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा ही विद्यार्थी को गुणवान बनाती हैं शिक्षा के ऐसे सभी मूल्यों को राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शामिल किया गया है। ग्रामीण संस्कृति पर उन्होंने कहा कि अधिकांश ग्रामीण परिवेश से संबंध रखने वाले छात्र शिक्षा ग्रहण करने के लिए शहरों में  आते हैं किन्तु शिक्षा पूर्ण करने के बाद वह शहर छोड़ना नहीं चाहते। अगर वह पूनः गांवों में लौटते हैं तो गांवों का समुचित विकास तेजी से होगा। इसके उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में विश्वविद्यालय स्थापित करने पर जोर दिया। 

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं नालन्दा खुला विश्वविद्यालय पटना के कुलपति प्रो कृष्ण चंद्र सिन्हा ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति के क्रियान्वयन कैसे हो इसको विस्तार पूर्वक बताते हुए कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति के लागू होने में जो अड़चनें है, उसमें सुधार करना होगा। केवल संसाधन की कमी का रोना रोने से कुछ नहीं होगा बल्कि संसाधन को बढाना होगा तभी हम शिक्षा नीति का क्रियान्वयन कर सकते हैं। कौशल विकास पर कहा कि यदि कोई बच्चा किसी कारणवश बीच में ही पढ़ाई छोड़ देता है तो भी उसको रोजगार के लिए भटकना नहीं पड़ेगा ऐसी व्यवस्था शिक्षा नीति में की गई है।देश को आगे बढ़ाने में शिक्षा की महत्वपूर्ण भूमिका होती है और भारतीय छात्रों में प्रतिभा कूट-कूटकर भरी है।यह शिक्षा नीति हमारे छात्रों की प्रतिभा को निखारने का काम करेगी।


पूनः कार्यक्रम के दूसरे सत्र की शुरुआत शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास उत्तर बिहार के प्रान्त संयोजक श्री त्रिलोचन शर्मा के वृत निवेदन से शुरू हुई।श्री संजय स्वामी ने न्यास के ध्येय वाक्य मॉ, मातृभाषा और मातृभूमि का कोई विकल्प नहीं को उदाहरण पूर्वक प्रमाणित किया।भाषा के संवर्धन और विकास पर बल दिया। न्यायलय में सभी वाद-विवाद भारतीय भाषा में ही हो। उन्होंने देश के कोने-कोने से प्रत्येक विषयों के विद्वानों को पाठ्यक्रम निर्माण में सहयोग देने का आह्वान किया।प्रायः सभी विषयों के संयोजकों ने अपना-अपना वृत प्रस्तुत किया।मंच संचालन डा मनीष कंठ ने किया। कार्यशाला में उपस्थित सभी सदस्यों के परिचय के बाद समापन संबोधन शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास दक्षिण बिहार के प्रान्त संयोजक एवं ए एन कॉलेज के प्रो अरुण कुमार सिंह ने कहा कि किसी कार्यक्रम का उद्देश्य आपके अंदर की शक्तियों को जागृत करना है। कार्यकर्ताओं को न्यास की गतिविधियों को बढ़ाने के लिए चिन्तन मनन करने पर जोर दिया और अन्त में कार्यक्रम का समापन श्री सितेश कुमार सिन्हा के धन्यवाद ज्ञापन एवं कल्याण मंत्र के साथ हुआ। कार्यक्रम में  श्री राजेश्वर कुमार, रोबिन कुमार, पुष्कर देव,संदीप सागर, सुन्दरकान्त चौधरी, शैलेश कुमार सिंह,अजय प्रताप आदि लोग उपस्थित थे।

 

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